शुक्रवार, 12 जून 2015

एक नयी पहल

मेरा सपना था कि मैं हिन्दी जो की मेरी मातृभाषा है उसमें लिखूं। आज मुझे बेहद प्रसन्नता है कि इस दिशा में मैंने एक छोटा सा क़दम रख दिया है। मुझे हिन्दी में पढ़ने और लिखने का बेहद शौक है पर कहीं ना कहीं शायद समय की कमी या फिर मेरा ही आलस कहिए कि मैंने पहले हिन्दी मे लिखना प्रारंभ नहीं किया. हिन्दी मे पढ़ना तो खैर बहुत पहले छूट गया. आप लोगों से आशा करती हूँ कि कुछ हिन्दी की अच्छी पुस्तकों का सुझाव आप मुझे देंगे। वैसे तो मैंने एक पुस्तकालय कि सदस्यता ली हुयी है परंतु उनके पास हिन्दी की पुस्तकों का बहुत संकुचित संग्रह है।

पर चलो देर आए लेकिन दुरुस्त आए। आगाज़ तो हो गया हिन्दी में लेखन का। आगे इस सफ़र में क्या मुक़ाम आएँगे यह तो समय पर छोड़ देते हैं।

अभी तो मुझे हिन्दी मे टाइप करने मे अभ्यस्त होने मे थोड़ा समय लगेगा। जो पाठक हिन्दी मे लिखते हैं उनके सुझावों की मुझे आव्यश्यक्ता पड़ेगी और इंतेज़ार भी रहेगा कि वे कौन सा सॉफ्टवेर  लेखन के लिए सबसे उत्तम समझते हैं? क्या हिन्दी में अब पूर्णविराम का उपयोग बंद हो गया है?

आज के लिए बस इतना ही। जल्दी ही मिलेंगे एक ऐसी ही सुहावानी शाम में। शुभ रात्रि।

10 टिप्‍पणियां:

  1. All the best for this blog, it will flourish too. My massi writes in hindi but i am nit so good at it,

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  2. http://www.facebook.com/simmiharshita her books are available online too.

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  3. वाह रचना! तुम्हें देखकर हो सकता है मैं भी अपनी हिंदी रचनायें ब्लॉग पर पोस्ट करने का साहस जुटा पाऊँ. इस नयी पहेल की कोटि-कोटि शुभकामनाएं!

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    1. बहुत धन्यवाद, Dagny. आशा करती हूँ कि तुम्हारी हिन्दी रचनाओं को पढ़ने का सौभाग्य मुझे शीघ्र मिलेगा.

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  4. मुबारक हो | मैं तो विराम का इस्तेमाल करती हूँ | इस नए ब्लॉग पे किन विषयों पर लिखोगी ? :D

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    1. धन्यवाद| हाँ, आपने तो विराम का उपयोग किया है और मैने भी यहाँ पर किया है पर पुस्तकों मे तो आज कल अँग्रेज़ी वाला चिन्ह ही इस्तेमाल होता है| अभी तक मैंने निर्णय नहीं लिया है कि विषय क्या रहेंगे परंतु सोच रही हूँ कि डाइयरी के समान कुछ लिखूं| आगे- आगे देखेंगे किस दिशा मे लेखन जाएगा|

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  5. बहुत खूब! इस नई शुरुआत के लिए बहुत शुभकामनाएं।
    चलो मिलकर हिंदी भाषा के उपयोग को और आगे बढ़ाएं। पूर्ण विराम वैसे अभी भी प्रचलित है।
    -- बेलू

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    1. धन्यवाद, बेलू| आशा करती हूँ कि यूँ ही लिखती रहूं| मेरे बच्चों की हिन्दी पुस्तकों मे तो आज कल पूर्ण विराम नज़र नहीं आता|

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आपके बहुमूल्य विचारों और प्रतिक्रियाओं की मुझे प्रतीक्षा है.